बच्‍चों को जीवन भर बच्‍चा बनाए रखने के लिए जिम्‍मेदार है ‘डाउन सिंड्रोम’

बच्‍चों को जीवन भर बच्‍चा बनाए रखने के लिए जिम्‍मेदार है ‘डाउन सिंड्रोम’

परिचय

डाउन सिंड्रोम (डीएस) को ट्राइसोमी 21 के नाम से भी जाना जाता है। यह एक आनुवांशिक विकार है, जो कि क्रोमोसोम 21 की तीसरी प्रतिलिपि के सभी या किसी भी हिस्से की उपस्थिति के कारण होता है। यह रोग सामान्यत: संज्ञानात्मक क्षमता (मानसिक मंदता/हल्के से मध्यम बौद्धिक विकलांगता या एमआर) और शारीरिक विकास में देरी तथा चेहरे की विशेषताओं से संबंधित है। सरल शब्‍दों में कहें तो इस विकार से गस्‍त बच्‍चे जन्‍म से ही मानसिक और शारीरिक रूप से बेहद कम विकसित होते हैं। बड़े होने के बाद भी ये विकास बेहद धीमी गति से होता है।

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित युवा वयस्कों का औसत आईक्यू लगभग 50 होता है, जबकि बिना डाउन सिंड्रोम से पीड़ित युवा वयस्कों में सामान्यत: आईक्यू 100 होता है।

 

लक्षण

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में बहुत सारी शारीरिक विशेषताएं हो सकती हैं। सिंड्रोम से पीड़ित हर व्यक्ति में निम्नलिखित सभी लक्षण हों, यह ज़रूरी नहीं है, लेकिन उनमें नीचे दिए गए लक्षण हो सकते है:

 

• मांसपेशियों की खराब टोन के परिणामस्वरुप फ्लपीनेस (हाइपोटोनिया)।

• छोटी नाक और नाक की चपटी नोक।

• छोटा सिर, कान और मुंह।

• ऊपर और बाहर की ओर झुकी हुई आंखें (तिरछी आंखें)।

• पैर की बड़ी अंगुली और दूसरी अंगुली के बीच अतिरिक्त जगह। 

• छोटी उंगलियों के साथ बड़े हाथ।

• हथेली में केवल एक लकीर (पामर क्रीज)।

• जन्म के समय कम औसत वजन और लंबाई।

 

कारण

डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है, जो कि अतिरिक्त गुणसूत्र (क्रोमोसोम 21 की तीसरी प्रतिलिपि) के सभी या किसी भी हिस्से की उपस्थिति के कारण होता है। आमतौर पर प्रत्येक कोशिका में 46 गुणसूत्र होते है। 23 क्रोमोसोम का एक सेट (जोड़े) शिशु अपने पिता से और 23 क्रोमोसोम का एक सेट शिशु अपनी माँ से प्राप्त करता है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोगों की कोशिकाओं में 46 की बजाए में 47 गुणसूत्र होते हैं। उनके पास अतिरिक्त गुणसूत्र 21 होता है, यही कारण है कि डाउन सिंड्रोम को कभी-कभी ट्राईसोमी 21 के नाम से भी जाना जाता है। अतिरिक्त आनुवांशिक असामान्यताएं (अतिरिक्त गुणसूत्र 21) डाउन सिंड्रोम से जुड़ी शारीरिक और विकासात्मक विशेषताओं का कारण है। डाउन सिंड्रोम तीन प्रकार का होता हैं, हालांकि प्रत्येक प्रकार का प्रभाव सामान्यत: समान होता हैं।

 

• ट्राईसोमी 21 डाउन सिंड्रोम: ट्राईसोमी 21 सबसे सामान्य प्रकार है। आमतौर पर ट्राइसॉमी 21 (ट्राइसॉमी एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है- 'तीसरी प्रति') वह स्थिति है, जिसमें शरीर में मौजूद प्रत्येक कोशिका में दो के बजाय क्रोमोसोम (गुणसूत्र) 21 की तीन प्रतियां होती है।

 

• ट्रांसलोकेशन डाउन सिंड्रोम: ट्रांसलोकेशन तब होता है, जब प्रजनन कोशिकाओं के गठन या भ्रूण के विकास के प्रारंभ में गुणसूत्र 21 का भाग अन्‍य गुणसूत्र में संलग्न (स्‍थानान्‍तरण) हो जाता है।

 

• मोज़ाइसिज़्म डाउन सिंड्रोम: मोज़ाइसिज़्म डाउन सिंड्रोम दुर्लभ प्रकार का डाउन सिंड्रोम है। इस सिंड्रोम में केवल कुछ कोशिकाओं में गुणसूत्र 21 की एक अतिरिक्त प्रति होती है। मोज़ेक डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के विकास में कम विलंब होता है।

 

निदान

प्रसव पूर्व/जन्म पूर्व जांच: किसी भी उम्र की गर्भवती महिला को अनुवांशिक स्थितियों जैसे कि डाउन सिंड्रोम के लिए जांच प्रस्तावित की जानी चाहिए। प्रसव पूर्व जांच गर्भावस्था के दौरान बच्चे के विकसित होने या पहले से ही असामान्य होने की संभावना का आकलन करने का एक तरीका है। डाउन सिंड्रोम के लिए उपयोग किए जाने वाले स्क्रीनिंग टेस्ट (जांच परीक्षण) को 'संयुक्त परीक्षण' के नाम से जाना जाता है। इसमें रक्त परीक्षण और अल्ट्रासाउंड स्कैन शामिल हैं।

रक्त का नमूना लिया जाता है तथा कुछ प्रोटीन और हार्मोन के स्तर की जांच करने के लिए परीक्षण किया जाता है। यदि रक्त में इन पदार्थों का स्तर असामान्य होता है, तो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चा होने की संभावना बढ़ जाती है। इस स्थिति में आपके च‍िकित्‍सक आपको जिनेटिक जांच की सिफारिश कर सकते हैं मगर ध्‍यान देने की बात है कि ये जांच देश के चुनिंदा अस्‍पतालों में ही होती है। इस जांच में गर्भवती महिला के गर्भाशय से सूई की मदद से थोड़ा पानी निकाला जाता है। गर्भस्‍थ शिशु इसी तरल पदार्थ या पानी में रहता है और उसके शरीर की कोशिकाएं इस पानी में मौजूद रहती हैं। च‍िकित्‍सक शिशु की इन कोशिकाओं की जांच करके ये स्‍पष्‍ट रूप से पता लगा सकते हैं कि बच्‍चे की कोशिकाओं में गुणसूत्र के जोड़े 46 हैं या 47। यदि 47 जोड़े पाए जाते हैं तो आमतौर पर डॉक्‍टर माता-पिता को गर्भपात करवाने की सलाह देते हैं।

इसके अलावा एक विशेष प्रकार का अल्ट्रासाउंड स्कैन किया जाता है, जिसे न्यूकल ट्रांसलुसेंसी के नाम से जाना जाता है। इस परीक्षण के माध्यम से बच्चे के गर्दन के पीछे की त्वचा के नीचे तरल पदार्थ की मोटाई को मापा जाता है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित शिशुओं में आमतौर पर उनकी गर्दन में सामान्य से अधिक तरल पदार्थ होता है। तरल पदार्थ की मोटाई मापने से यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना है या नहीं।

प्रसवोत्तर निदान: बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा आत्मविश्वास के साथ किया जाने वाला नैदानिक परीक्षण प्राय: रोग के संदेह की पुष्टि या खंडन कर सकता है। परीक्षण के लिए नैदानिक मानदंड प्रणाली में फ्राइड का नैदानिक सूचकांक शामिल हैं, जिसमें निम्नलिखित आठ संकेत हैं:

 

• सपाट चेहरा।

• ईयर डिसप्लेसिया।

• मुंह से बाहर निकलती रहने वाली जीभ।

• मुंह के कोनों का लटकना।

• हाइपोटोनिया।

• गर्दन की बढ़ी त्वचा।

• एपिकॉनथिक फोल्ड।

• पैर की बड़ी अंगुली और दूसरी अंगुली के बीच अतिरिक्त जगह। 

 

यदि इन विशेषताओं में से 0 से 2 है, तो नवजात शिशु को डाउन सिंड्रोम (100 में से एक से भी नकारात्मक परिणाम हो सकता है) नहीं होने की संभावना होती है, यदि इन विशेषताओं में से 3 से 5 है, तो स्थिति स्पष्ट (और आनुवंशिक परीक्षण की सिफ़ारिश की गई है) नहीं है तथा यदि 6 से 8 विशेषताएं है, तो नवजात डाउन सिंड्रोम (100.000 में से एक सकारात्मक परिणाम होता है) से पीड़ित है तथा यह आत्मविश्वास से कहा जा सकता है।

 

वैसे इस आलेख में स्वास्थ्य की बेहतर समझ के लिए केवल सांकेतिक जानकारी प्रदान की गई है। किसी भी निदान/उपचार के लिए कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

 

प्रबंधन

डाउन सिंड्रोम का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन ऐसा बहुत कुछ है, जो की स्वस्थ, सक्रिय और अधिक आत्मनिर्भर जीवन जीने में किसी की मदद के लिए किया जा सकता है। प्रबंधन रणनीति जैसे कि:

 

प्रारंभिक बाल्यावस्था हस्तक्षेप: प्रारंभिक हस्तक्षेप समन्वित सेवाओं की एक प्रणाली है, जो कि बच्चे की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देती है तथा चुनौतीपूर्ण प्रारंभिक वर्षों के दौरान परिवारों को सहयोग करती है, जैसे कि प्रारंभिक संचार हस्तक्षेप भाषाई कौशल को बढ़ावा देती है।

 

प्रारंभिक बाल्यावस्था में हस्तक्षेप:

1. सामान्य समस्याओं के लिए परीक्षण।

2. जब आवश्यकता हों, तब चिकित्सा उपचार।

3. सहयोगात्मक पारिवारिक वातावरण।

4. व्यावसायिक प्रशिक्षण, जो कि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के संपूर्ण विकास में वृद्धि करता है।

5. शिक्षा और उचित देखभाल के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार।

 

प्लास्टिक सर्जरी: प्लास्टिक सर्जरी ने पूर्वधारणा के आधार पर डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को प्रोत्साहित और उनके प्रदर्शन को बेहतर प्रमाणित किया है। सर्जरी डाउन सिंड्रोम से जुड़ी चेहरे की विशेषताओं को कम करती है, इस तरह सर्जरी सामाजिक रूढ़ी कम करती है और जीवन को बेहतर गुणवत्ता की ओर लेकर जाती है।

संज्ञानात्मक विकास: डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति अपनी भाषा और बातचीत की कला में काफी अलग होते हैं। मध्यकर्णशोथ और बधिरता के लिए नियमित जांच की जानी चाहिए तथा निम्न वृद्धिपरक श्रवण यंत्र या अन्य उपकरण भाषा सीखने के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

सामाजिक और गामक या क्रियात्मक विकास के लिए संगीत चिकित्सा कुछ रोगियों में उपयोगी हो सकती है।

 

जटिलताएं

डाउन सिंड्रोम की जटिलताओं में निम्नलिखित शामिल है:

 

• हृदय विकार।

• आंत्र की असामान्यताएं।

• पाचन संबंधी समस्याएं।

• श्रवण और दृष्टि दोष।

• थायराइड रोग।

• संक्रमण का ज़ोखिम।

• रक्त विकार।

• मनोभ्रंश का खतरा।

(नेशनल हेल्‍थ पोर्टल से साभार)

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